Friday, October 24, 2008

उल्लू बनते जाईये…

जो भी मिले उल्लू बनते जाईये…
हर ठग को अपना आदर्श मानते जाईये।
शर्म हया को रखो ताक में ,
उल्लू बनने की कला सीखते जाईये।
शान से चांदी का जूता पहन कर ,
जिस का सर मिले उससे बजाते जाइये।
किसी को ठग ने में क्या जाता है ??
इंसान ही तो इंसान के काम आता है,
मुर्ख को मुर्ख बनाना में क्या घबराना
इसे अपना धर्मं मान का आगे बदते जाईये।
अपनी गीरेबा में झाकना बंद करो यार,
नहीं तो ख़ुद से आँख मिलाना मुश्किल हो जाएगा।

Thursday, October 23, 2008

कुछ तो कमी हो....

आदमी पूरा हुआ तो देवता बन जायेगा
कुछ कमी तो बाकी रहे ।
दुनिया की सारी खुशिया पाने के लिए भी
आखों में कुछ नमी बाकी रहे,

दुश्मनी में भी इतना मज़ा हो
की कही दोस्ती बाकी रहे ,
मेरे प्यार की उम्र इतनी हो की
अगले जनम तक मेरी याद बाकी रहे ,

मेरी आखों में ख़ुमार बाकि रहे ।
मेरी जुल्फ की कालिख में जब खो जाए तू
अपने प्यार के आगाज़ का एहसास बाकि रहे ।